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Saturday, December 10, 2022

चंद लफ़्ज़

वो ऐसी एक कहानी थी,
जो कलम मे ही बैठी रही,
कागज़ पे उतर न सकी |

वो ऐसी एक बारिश थी,
जो बादल मे ही छुपी रही,
ज़मीन पे बरस न सकी |

वो ऐसी एक सुबह थी ,
जो सपने मे ही खोई रही,
हक़ीक़त मे बिखर न सकी |

वो ऐसी एक फूल थी,
जो कली मे ही सिमटी रही,
बागों मे खिल न सकी |

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